Maharishi Valmiki Research Council

एक ही नारा, एक ही नाम जय श्री वाल्मीकि, जय श्री राम

- महर्षि वाल्मीकि अनुसंधान परिषद्

साहित्यिक, राजनैतिक, आर्थिक, भौगोलिक ज्योतिषशास्त्रीय आयुर्वैदिक आदि दृष्टि से महर्षि की रचनाओं की समीक्षा

- महर्षि वाल्मीकि अनुसंधान परिषद्

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महर्षि वाल्मीकि अनुसंधान परिषद्

लोक मंगल की जिस भावना से महर्षि वाल्मीकि ने रामायण और महारामायण (योगवशिष्ठ) की रचना की, वह उनके समकालिक युग के साथ-साथ, युग-युग की प्ररेणा बन गई हैं। महर्षि वाल्मीकि विश्व संस्कृति के निर्माता और मानवता के सर्वोच्च उपदेशक थे । संसार के जीवों को सद्ज्ञान देना और तदनुरूप आचरण करने की प्रेरणा देना उनके जीवन का परम उद्देश्य था। उनके उपदेश अजर-अमर और शाश्वत हैं। महर्षि की करूणा, सृष्टि के हर प्राणी और प्रकृति के हर तृण, तरू, लता की सुरक्षा के संकल्प से भरी हुई हैं। महर्षि वाल्मीकि द्वारा विरचित काव्यों में रामायण एक अमर रचना हैं। भारतीय साहित्य में वाल्मीकि रामायण से प्ररेणा लेकर अनेकों कवि, नाटककार तथा उपन्यासकार साहित्य सृजन करते रहे हैं। इसी कड़ी में कालिदास, तुलसीदास, सूरदास, गुरू गोविंद सिंह, मैथिली शरण गुप्त, निराला आदि सैकड़ों कवियों ने आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जी से प्रेरित होकर अपनी काव्य रचना की हैं | रामायण धर्म और संस्कृति का जीवंत प्रतीक हैं। भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं साहित्य महर्षि वाल्मीकि की महान देन है। रामायण की रचना के प्राकृत या वैकृत अंश हमें महाभारत, पुराणों, बौद्ध, जैन आदि ग्रंथों में मिलते हैं। विभिन्न भाषाओं में महर्षि वाल्मीकि रामायण से प्रभावित काव्य सहस्त्रों संख्या को पार कर चुके हैं। इससे सहज ही हमें महर्षि वाल्मीकि रामायण की लोकप्रियता का ज्ञान हो जाता है। ठीक ही कहा गया हैं- "रम्या रामायणी कथा"
    उद्देश्य:
  • साहित्यिक, राजनैतिक, आर्थिक, भौगोलिक ज्योतिषशास्त्रीय आयुर्वैदिक आदि दृष्टि से महर्षि की रचनाओं की समीक्षा
  • महर्षि के अनुपलब्ध ग्रन्थों का अन्वेषण
  • संस्कृत परंपरा में प्राप्त वाल्मीकि जी की प्रशस्तियाँ
  • महर्षि चिंतक का विश्व के अन्य श्रेष्ठ चिंतकों और ग्रंथों का तुलनात्मक अध्ययन
  • आधुनिक युग में महर्षि की प्रासागिंकता । महर्षि के कालजयी सिद्धांत
  • महर्षि तथा विविध दार्शनिक मतों का तुलनात्मक अध्ययन।
  • राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी परिसंवाद आदि
  • महर्षि के तीर्थ स्थानों का शोधकार्य
  • संस्कृत तथा महर्षि पुण्यपर्व को सोत्साह मनाना
  • सारे विश्व को जीने का मार्ग दिखाने वाली संहिता
  • महर्षि के मानव संस्कृति के दिये योगदान का कार्य करना।
  • राष्ट्रीय भावना को सुदृढ़ व भाईचारे का संदेश
  • रामायण के विभिन्न संस्करणों, संग्रहों तथा प्रकाशन
  • रामायण की विभिन्न टीकाओं का संग्रह तथा प्रकाशन
  • परवर्ति साहित्य पर रामायण का प्रभाव ।
  • रामायण के प्रमाणित अंशों का संग्रह ।
  • रामायण तथा महर्षि वाल्मीकि विषयक गलत अवधारणाओं का खण्डन
  • महर्षि के यथार्थ जीवन का प्रकाशन तथा प्रचार ।

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